कुतुब मीनार विश्व की सबसे ऊंची मीनार है। यह UNESCO द्वारा प्रमाणित विश्व धरोहर की सूची में शामिल है। यह मीनार अपने अंदर भारत का इतिहास, कलाकारी, हजारों कहानियां संजोए हुए हैं। विश्व का महत्वपूर्ण धरोहर होने के कारण कई बार एग्जाम में इससे संबंधित सवाल पूछे जाते हैं। जैसे कुतुब मीनार किसने बनवाया, कुतुब मीनार की लंबाई कितनी है, कुतुबमीनार का व्यास।
बहुत सारे लोग यह जानते हुए भी कि कुतुब मीनार की लंबाई 237.86 फीट ( यानि की 72.5 मीटर) है। इसके बावजूद भी एग्जाम्स में गलत जवाब चिह्नित करके आ जाते हैं क्योंकि यह लंबाई जमीन से नापी गई है कुतुब मीनार जमीन के भीतर भी है। आज इस पोस्ट के नाम कुतुब मीनार से सम्बन्धित प्रत्येक जानकारी जो आपके लिए जानना जरूरी है वह सब बताएंगे। जैसे कुतुब मीनार की लंबाई कितनी है, इसका व्यास, चौड़ाई और इतिहास।
मुगल काल में बनी यह इमारत अपने अंदर हजारों कहानियां समेटे हुए है जो आज भी debate का हिस्सा होती हैं। बहुत सारे इतिहासकार कुतुब मीनार से संबंधित जानकारियों पर एक एकमत नहीं है। इस पोस्ट में आपको कुतुब मीनार से संबंधित पुख्ता जानकारी जो इतिहास के पन्नों में दर्ज है वही बताएंगे।
दिल्ली के बीचोबीच स्थित ईटों से बनी कुतुब मीनार महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल है। हजारों लोग इस इमारत को देखने आते हैं। कई हिंदी मूवीस की शूटिंग भी इस इमारत के इर्द-गिर्द की गई है। कुतुब मीनार पर अब तक कई Documentaries और TV show भी बन चुके है। भारत का महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल होने के कारण इसके बारे में जानना जरूरी है। आइए जानते हैं कुतुब मीनार की लंबाई कितनी है और इसे किसने बनवाया?
मीनार क्या होता है?
मीनार को हिंदी में मतलब ” ऊंची इमारत” होता है। मीनार का निर्माण मुख्य रूप से मस्जिदों में करवाया जाता है। इस मीनार पर चढ़कर अजान दी जाती है। हालंकि कुतुब मीनार का इस्तेमाल अजान के लिए होता था या नहीं इसका कोई ठोस सबूत नहीं मिलता है।
कुतुब मीनार को किसने बनवाया?
क़ुतुब मीनार के निर्माण में कई साल लगे थे। इसको पूरा बनवाने में 3 लोगों का योगदान है।क़ुतुब मीनार की नींव कुतुब उद्दीन एबेक ने डाली थी। इसका निर्माण 1193 में शुरू हुआ था। कुतुब उद्दीन ऐबक ने पहली और दूसरी मंजिल का निमार्ण करवाया था। इसी बीच कुतुब उद्दीन ऐबक की मृत्यु हो गई थी।
तीसरी और चौथी मंजिल का निर्माण कुतुब उद्दीन के दामाद (son in law) सुल्तान शम्सुद्दीन इल्तुतमिश ने करवाया था। इल्तुतमिश की देखरेख में 1211 से 1236 तक कुतुब मीनार का निर्माण कार्य चालू रहा। कुतुब मीनार की आखरी मंजिल का निर्माण सुल्तान फिरोज शाह तुगलक ने करवाया था।
कुतुब मीनार किस कारण से बनवाया गया?
मीनारों का निर्माण नमाज के लिए अजान देने के लिए किया जाता है। परंतु कुतुब उद्दीन ऐबेक के दरबारी लेखक के दस्तावेजों से पता लगता है कुतुब मीनार का निर्माण विजय स्तंभ के लिए बनवाया गया था। दिल्ली पर विजय होने पर कुतुब उद्दीन ने अपनी जीत की खुशी में कुतुब मीनार के निर्माण का आदेश दिया था।
कुतुब मीनार का नामकरण कैसे हुआ?
कुतुब मीनार का नामकरण को लेकर कई मत हैं। ये बात पुख्ता है की कुतुब मीनार का नामकरण “कुतुब” नाम के व्यक्ति पर हुआ है। इतिहास में 2 ऐसे कुतुब नाम के व्यक्ति हैं जो कुतुब मीनार से सम्बन्धित हैं।
सबसे प्रचलित मत ये है की इसका नामकरण कुतुब मीनार की नींव डालने वाले व्यक्ति कुतुब उद्दीन ऐबक के नाम पर है। ज्यादातर स्कूल बुक्स में यही लिखा हुआ है।
दूसरा मत यह है की कुतुब मीनार का नाम ख्वाजा-कुतुबद्दीन बख्तियार काकी के नाम पर पड़ा। ये बगदाद से आए प्रसिद्ध सूफी संत थे।बख्तियार काकी कुतुबुद्दीन को धार्मिक ज्ञान और शिक्षा दिया करते थे। कुतुबुद्दीन ख्वाजा के परम शिष्य थे और उनसे खास लगाव रखते थे।
कुतुब मीनार का इतिहास
कुतुब मीनार का निर्माण दिल्ली के पहले शासक कुतुबुद्दीन ऐबक ने महरौली क्षेत्र में कराया था। कुतुबुद्दीन ऐबक 5 मंजिल वाली कुतुब मीनार बनाना चाहता था परंतु पहली मंजिल बनाने के बाद ही कुतुबुद्दीन ऐबक की 14 नवम्बर 1210 मृत्यु हो गई। इस मंजिल का डिजाइन अफगानिस्तान में मौजूद जाम की मीनार जैसा है। कुतुबुद्दीन दिल्ली में ऐसी मीनार बनवाना चाहता था जो अफगानिस्तान की जाम की मीनार से भी बेहतरीन हो।
कुतुबुद्दीन की मृत्यु के बाद कुतुब मीनार का निर्माण काफी समय तक स्थगित रहा।
कुतुब मीनार की अगली तीन इमारतों का निर्माण कुतुबुद्दीन ऐबक के दामाद( son in law) इल्तुतमिश ने करवाया। परंतु कुतुब उद्दीन मीनार के पूरा होने से पहले 30 अप्रैल 1236 को इल्तुतमिश की मृत्यु हो गई। इल्तुतमिश की मृत्यु होने के बाद कुतुब मीनार का काम फिर लंबे समय तक रुका रहा।
कुतुब मीनार की 4 इमारतें पूरा होने के बाद इसका इस्तेमाल लकड़ी का सामान व कागजी दस्तावेज रखने के लिए किया जाता था। इसी बीच कुतुब मीनार की मंजिलों में आग लग गई। आग के कारण कुतुबमीनार का ढांचा कमजोर हो गया। इसके बाद कुतुब मीनार का पुनर्निर्माण और मजबूती का काम फिरोजशाह तुगलक ने करवाया। आखरी मंजिल का निर्माण भी फिरोजशाह तुगलक ने 1368 में करवाया। इस प्रकार कुतुब मीनार के निर्माण में 3 शासकों की भूमिका रही। पहला कुतुबुद्दीन ऐबक, दूसरा उसका दामाद इल्तूमिश और तीसरा शासक फिरोजशाह तुगलक।
Qutub Minar Ki Lambai Kitni Hai |कुतुब मीनार की लम्बाई कितनी है
कुतुब मीनार की जमीन से लम्बाई 237.86 फीट ( यानि की 72.5 मीटर) है। क़ुतुब मीनार के बाहरी व्यास की लंबाई 14.3 मीटर है। यह व्यास ऊपर की तरह घट कर 2.75 मीटर रह जाता है। क़ुतुब मीनार में ऊपर चढ़कर अजान देने के लिए 379 गोलनुमा सीढ़िया भी मौजूद हैं। सीढियों के प्रवेश द्वार पर लकड़ी का दरवाजा मौजूद है। मीनार के पुरे ढाँचे पर मुगल कालीन अफगानी नक्काशी भी की गयी है।
कुतुब मीनार का Structure
कुतुब मीनार गोल आकृति की विशाल मीनार है। इसका निर्माण लाल बालू पत्थर से हुआ है। इमारत में पत्थर लगाने से पहले पत्थरों को ईटों का आकार दिया गया है। ईमारत को बाहर से देखने में 5 हिस्से नजर आते हैं। इन 5 हिस्सों को कुतुब मीनार की पांच मंजिलें कहा जाता है। हालांकि अंदर से देखने में केवल एक विशाल इमारत नजर आती है।
बाहरी दीवारों पर ऊपर से लेकर नीचे तक शानदार नक्काशी की गई है। दीवारों पर कुरान की आयतों को उकेरा गया है। इन आयतों को पत्थर को घिस कर लिखा गया है। ये आयतें आज भी साफ साफ पढ़ी जा सकती हैं। आयतों के अलावा ईमारत पर हिंदू देवी देवताओं के उकेरे चित्र भी मौजूद हैं।
इमारत के बाहर एक लकड़ी का दरवाजा है जो इमारत का प्रवेश कक्ष है। 1982 के बाद से यह प्रवेश कर पर्यटकों के लिए हमेशा बंद है। इस प्रवेश द्वार का इस्तेमाल केवल रख रखाव टीम द्वारा किया जाता है। दरवाजा खुलने पर सामने गोलनुमा सीढियों का डिजाइन है। ये सीढ़ियां इमारत की पांचवीं मंजिल तक जाती है।
इमारत के चारों तरफ स्टील की ग्रिल लगी हुई है। इसे हाल ही लगाया गया है ताकि पर्यटक कुतुब मीनार के ज्यादा पास ना जा सकें।
Qutub Complex
कुतुब मीनार कुतुब परिसर ( Qutub Complex) में स्थित है। असल में कुतुब मीनार अकेली इमारत नहीं है। बल्कि इसके आसपास और भी कई छोटी इमारतें हैं। जिसका निर्माण कई शासकों द्वारा कराया गया है। इन सभी इमारतों को मिलाकर कुतुब परिसर कहा जाता है। इस कुतुब परिसर का निर्माण 27 हिंदुओं और जैन मंदिरों को तोड़कर कराया गया है। इन मंदिरों के अवशेष का इस्तेमाल कुतुब परिसर की इमारतों के निर्माण में भी हुआ है।
इस कुतुब परिसर में कुतुब मीनार के साथ :
1. Alai Darwaza
अलाई दरवाजा कुतुब मीनार परिसर में प्रवेश करने का entry point है। इस दरवाजे से होकर ही सभी पर्यटक कुतुब मीनार तक पहुंचते हैं। इसका निर्माण अलाउद्दीन खिलजी द्वारा 1311 में कराया गया था। यह भारत की पहली ऐसी इमारत है जिसका निर्माण इस्लामी वास्तु शास्त्र के हिसाब से कराया गया है। इस विशाल दरवाजे में बालू पत्थर और मार्बल का इस्तेमाल किया गया है। इस दरवाजे पर बेहतरीन मुगलकालीन नक्काशी देखने को मिलती है।
2. कुतुब मीनार
दरवाजे में प्रवेश करने के बाद सबसे पहले जो ईमारत सामने दिखाई देती है वह कुतुब मीनार है। कुतुब मीनार कुतुब परिसर का मुख्य पर्यटक स्थल है। हालांकि इसके अंदर जाने के अनुमति नहीं है और इसके चारों ओर स्टील की ग्रील भी लगाई गई है।
3. Quwwat-ul-Islam Mosque
इसे कुतुब मस्जिद या Great Delhi mosque भी कहा जाता है। इस मस्जिद का निर्माण कुतुबुद्दीन ऐबक द्वारा कराया गया था। कुतुबुद्दीन ऐबक के दरबारी लेखक ने लिखा है कि– “विजेता दिल्ली में प्रवेश कर चुके हैं और अब दिल्ली को मूर्ति पूजा और भगवान की पूजा करने वालों से मुक्ति मिल चुकी है, कई भगवान की पूजा करने वाले स्थान पर अब एक भगवान की पूजा करने वालों का अधिकार है।”
यह दिल्ली की पहली मस्जिद है। इस मस्जिद का निर्माण कुतुब मीनार के साथ ही शुरू हुआ था। इस मस्जिद का वास्तु कला राजस्थान के अजमेर में मौजूद अढाई दिन की झोपडे से मिलती जुलती है। अढाई दिन की झोपडे का निर्माण भी कुतुबुद्दीन ऐबक द्वारा कराया गया था।
4. Iron pillar
कुतुब परिसर में 7.21 मीटर ऊंचा लोह स्तम्भ भी मौजूद है जिसका निर्माण चंद्रगुप्त द्वारा कराया गया था। असल में इसका निर्माण चंद्रगुप्त विक्रमादित्य द्वारा उदयगिरि नामक स्थान पर कराया गया था परंतु उसके बाद अनंगपाल ने 10 वीं शताब्दी में लोह स्तम्भ को कुतुब परिसर में shift कर दिया था। इस लोह स्तम्भ का कुल वजन 6,511 kg है। इतने भारी स्तम्भ को कैसे इतनी दूर लाया गया होगा आज भी हैरान कर देता है। इस स्तंभ से जुड़ी सबसे आश्चर्यजनक बात यह है कि यह लोहे से बना हुआ है और इसमें आज तक कभी भी जंग नहीं लगा है।
5. Tomb of Iltutmish
दिल्ली के दूसरे सुल्तान इल्तुमिश का मकबरा भी कुतुब परिसर में मौजूद है। सुल्तान इल्तुमिश का मकबरा 9 मीटर लंबा है जिसके चारों ओर इमारत बनाई गई है। पहले इसके ऊपर एक गुंबद मौजूद था जो अब ढह चुका है। ऊपर जो मकबरा नजर आता है वह खाली है। असली कब्र इसके नीचे है। असली कब्र तक जाने के लिए 20 सीढियों वाला जमीनी रास्ता मौजूद है जो कि पर्यटकों के लिए बंद रहता है।
6. Tomb of Imam Zamin
कुतुब परिसर में ईमाम जमीन (मोहम्मद अली) का मकबरा भी मौजूद है। मकबरे का निर्माण खुद मोहम्मद अली ने करवाया था। मोहम्मद अली का संबंध कुतुबुद्दीन ऐबक के परिवार से नहीं था।
7. Ala-ud-din Khilji’s tomb and madrasa
अलाउद्दीन खिलजी, खिलजी वंश का दिल्ली का दूसरा शासक था। खिलजी ने कुतुब परिसर में खिलजी मकबरा, मदरसा और खिलजी की अलाई मीनार का निर्माण भी कराया था। अलाई मीनार का निर्माण भी कुतुब मीनार की तरह ही होना था परंतु खिलजी की मृत्यु के बाद केवल 1 मंजिल का निर्माण हो सका। निर्माण ना होने के कारण इसके ऊपर की ईंटे ढह चुकी हैं।
Summary of कुतुब मीनार की लम्बाई कितनी है।
आज के पोस्ट में हमने जाना कुतुब मीनार की लम्बाई । कुतुबमीनार को यूनेस्को द्वारा वर्ल्ड हेरिटेज का दर्जा प्राप्त है। कुतुब मीनार विश्व की सबसे लंबी मीनार । कुतुब मीनार की लंबाई बाकी सभी मीनारों से ज़्यादा है। ऐसी अधिक जानकी के लिए हमारी वेबसाइट loanpegyan पे आते रहिये
कुतुब मीनार कुतुब परिसर में मौजूद है, जहां पर कुतुब मीनार के अलावा भी कई monuments मौजूद हैं:
- Alai Darwaza
- कुतुब मीनार
- Quwwat-ul-Islam Mosque
- Iron pillar
- Tomb of Iltutmish
- Tomb of Imam Zamin
- Ala-ud-din Khilji’s tomb and madrasa
FAQ
कुतुब मीनार में किसी को जाने की अनुमति क्यों नहीं है?
कुतुब मीनार के भीतर प्रवेश करने के लिए दरवाजा मौजूद है परंतु यह दरवाजा हमेशा बंद रहता है। यह दरवाजा 1981 से बंद है। असल में 4 दिसंबर 1981 में कई सारे स्कूली बच्चे इसके भीतर गए थे। अचानक किसी व्यक्ति ने अंदर की लाइट बंद कर दी जिसकी वजह से अंदर पूरा अंधेरा हो गया। इस कारण बच्चों में हड़बड़ाहट होने के कारण बाहर निकलने के लिए भगदड़ मच गई। और इसी भगदड़ में 25 बच्चों की जान चली गई उसके बाद से दर्शकों का प्रवेश वर्जित है।
कुतुब मीनार कौन से राज्य में है?
कुतुब मीनार भारत के दिल्ली (केंद्र शासित प्रदेश) में स्थित है। दिल्ली राज्य नहीं है। पर कई बार दिल्ली के साथ राज्य का इस्तेमाल कर दिया जाता है, जोकि गलत है।
विश्व की सबसे ऊंची मीनार कौन सी है?
विश्व की सबसे ऊंची मीनार कुतुब मीनार ( कुतब मीनार) है जिसकी ऊंचाई 72.5 मीटर है अर्थात 237 फुट है।
कुतुब मीनार को और अन्य किस नामों से जाना जाता था?
दिल्ली में मुस्लिम शासकों का अंत होने के बाद हिंदू शासकों का आधिपत्य रहा। हिंदू साशकों के काल में कुतुब मीनार को विष्णु स्तम्भ कहा जाता था। इससे पहले कुतुब मीनार को सूर्य स्तम्भ भी कहा जाता था।