समय-समय पर सरकार निवेशकों के लिए नई नई योजनाएं लेकर आती रहती है। बाजार में मौजूद निवेश के तरीके जोखिम से भरे होते हैं। परंतु सरकार द्वारा चलाई गई योजनाओं में निवेश का जोखिम काफी कम होता है। लोग भी सरकारी निवेश में पैसा लगाना पसंद करते हैं। इसी को मद्देनजर रखते हुए केंद्र सरकार ने 5 फरवरी 2021 को आरबीआई रिटेल डायरेक्ट scheme की घोषणा की।
आरबीआई रिटेल डायरेक्ट स्कीम को आरबीआई खुदरा प्रत्यक्ष योजना भी कहा जाता है। इस योजना ने कई सारे निवेशकों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है। आज इस पोस्ट में हम आरबीआई रिटेल डायरेक्ट स्कीम के बारे में संपूर्ण जानकारी प्राप्त करेंगे। जैसे कि– निवेश कैसे करें, इस योजना का लाभ उठाने के लिए पात्रता, दस्तावेज और अन्य बातें।
आरबीआई रिटेल डायरेक्ट स्कीम क्या है ?
आरबीआई रिटेल डायरेक्ट स्कीम एक प्रकार की निवेश योजना है। इस निवेश योजना में सरकारी प्रतिभूतियों (Government securities/ G-sec) में निवेश किया जा सकता है। इस योजना का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसमें छोटे निवेशक व आम लोग भी निवेश कर सकते हैं। इस योजना के लॉन्च होने से पहले तक यह मुमकिन नहीं था।
इस निवेश योजना में गवर्नमेंट सिक्योरिटीज में इन्वेस्ट किया जाता है। गवर्नमेंट सिक्योरिटीज के अंतर्गत केंद्र सरकार की सिक्योरिटी, राज्य सरकार की सिक्योरिटी और ट्रेजरी बिल आते हैं।
इस निवेश योजना के अंतर्गत निवेशक को कम से कम ₹10,000 निवेश करने होंगे। पैसा निवेश करने के बाद आपको गवर्नमेंट सिक्योरिटीज के शेयर प्रदान किए जाएंगे। शेयर खरीदने के बाद आप कुछ समय बाद इसे ज्यादा दाम पर बेच सकते हैं।
Scheme Name | आरबीआई रिटेल डायरेक्ट स्कीम ( RBI Retail Direct Scheme) |
Launch Date | 12 November 2021 |
Launch by | Prime Minister नरेंद्र मोदी |
Supervised by | Reserve Bank Of India |
Official website | https://www.rbiretaildirect.org.in/ |
Helpline Number | 1800 267 7955 (between 9 am to 7 pm on any working day) |
आरबीआई रिटेल डायरेक्ट स्कीम key points
- आरबीआई रिटेल डायरेक्ट स्कीम की घोषणा देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने की थी। स्कीम की घोषणा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा था –“यह योजना छोटे निवेशकों को सरकारी बाण्ड मार्केट में निवेश करने के लिए सशक्त बनाएगी और उन्हें वित्तीय सुरक्षा प्रदान करेगी”।
- इस योजना में निवेश करने के लिए गिल्ट खाता जरूरी होता है।
- इस योजना में कोई भी व्यक्ति डिजिटल प्लेटफॉर्म / ऑनलाइन वेबसाइट से निवेश कर सकता है। पहले यह मुमकिन नहीं था।
- Retail schemes ( खुदरा योजना) में निवेश करने वाले इन्वेस्टर को Retail investor (खुदरा निवेशक ) कहा जाता है।
गिल्ट अकाउंट क्या है ?
इस योजना में निवेश करने के लिए आपको एक खास प्रकार का खाता चाहिए होता है जिसे गिल्ट अकाउंट कहा जाता है। इसे खुदरा प्रत्यक्ष गिल्ट खाता या RDG account भी कहते हैं। गिल्ट अकाउंट खोलने की सुविधा आर.बी.आई प्रदान करता है। इस गिल्ट अकाउंट के बिना इस योजना में निवेश नहीं किया जा सकता है। इस खाते को खोलने के लिए आप आर.बी.आई ऑनलाइन पोर्टल का इस्तेमाल कर सकते हैं।
गिल्ट अकाउंट सामान्य demat अकाउंट से अलग होता है। डिमैट अकाउंट से आप इंडियन स्टॉक्स और इंडियन म्युचुअल फंड्स में इन्वेस्ट करते हैं। जबकि गिल्ट अकाउंट से आप केवल जी सिक्योरिटी में ही इन्वेस्ट कर सकते हैं।
गिल्ट अकाउंट खोलने के लिए जरूरी पात्रता
कोई भी व्यक्ति जो भारत का नागरिक है वह गिल्ट अकाउंट खोल सकता है। बेशर्त है कि उसकी उम्र 18 वर्ष से अधिक हो। इसके अलावा गिल्ट अकाउंट खोलने के लिए निम्नलिखित दस्तावेज जरूरी हैं:
- इनकम टैक्स द्वारा जारी किया गया पैन कार्ड
- के.वाई.सी करने के लिए दस्तावेज जैसे कि आधार कार्ड, वोटर कार्ड
- ईमेल आईडी ( जरूरी सूचना प्राप्त करने के लिए)
- और मोबाइल नंबर ( ओटीपी के लिए)
- स्कैनड इमेज
- स्कैनेड फोटोग्राफ
विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 के तहत जो भी व्यक्ति इन पात्रताओं पर खरा उतरता है वह आरबीआई रिटेल डायरेक्ट स्कीम में निवेश कर सकता है। गिल्ट अकाउंट की सुविधा आरबीआई द्वारा प्रदान की जाती है। गिल्ट अकाउंट को एकल या संयुक्त रूप से खोला जा सकता है। एकल गिल्ट अकाउंट का इस्तेमाल केवल एक ही व्यक्ति कर सकता है। जबकि संयुक्त गिल्ट अकाउंट का इस्तेमाल कई व्यक्ति कर सकते हैं। संयुक्त गिल्ट अकाउंट का इस्तेमाल आमतौर पर कंपनी या फर्म करती हैं।
गिल्ट अकाउंट कैसे खोलें?
गिल्ट अकाउंट खोलने के लिए सबसे पहले आपको आरबीआई की आधिकारिक वेबसाइट पर जाना होगा।
- यहां पर “Open RBI retail Direct account” पर क्लिक करें।
- यहां पर आपको एक नई विंडो देखने को मिलेगी। यहां पर आपको अकाउंट टाइप ( एकल /संयुक्त), अपना नाम, पैन कार्ड, ईमेल,
- मोबाइल नंबर डालना होगा।
- इसके बाद intitate kyc proces पर क्लिक करें।
- इसके बाद आपको अपनी केवाईसी डीटेल्स दर्ज करनी होगी और उसके बाद आपका अकाउंट ओपन हो जाएगा।
गिल्ट अकाउंट खोलने के फायदे?
गिल्ट अकाउंट को आप एक तरह का सेविंग अकाउंट समझ सकते हैं। गिल्ट अकाउंट के निम्नलिखित फायदे हैं:
No commission
इस खाते की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें किसी भी प्रकार का कोई कमीशन नहीं लगता है। इस खाते को खोलने के लिए ना ही किसी प्रकार की fees लगती है और ना ही कोई AMC charges।
No Intimatory Charges
इस खाते से bonds खरीदते वक्त किसी भी प्रकार का Intimatory Charges नहीं लगता है। Bonds खरीदते वक्त लगने वाले चार्जेस(commision) को Intimatory Charges कहा जाता है।
Stable returns
इस योजना के तहत मिलने वाले रिटर्न्स काफी विश्वसनीय है। इन bonds को जारी स्वयं आर.बी.आई करता है इसलिए निवेश का जोखिम काफी कम रहता है। इस योजना में निवेश करके आप अच्छा खासा मुनाफा ( returns) प्राप्त कर सकते हैं।
Free to enter and Exit
इस योजना के तहत आप कभी भी अपने खाते को बंद कर सकते हैं। पहले ऐसा मुमकिन नहीं था। पहले आपको अपने bonds को एक निश्चित समय के लिए अपने पास रखना होता था। समय से पहले बेचने पर penalty charges लगते थे। परंतु गिल्ट खाते में किसी भी प्रकार का कोई पेनल्टी चार्ज नहीं लगता है।
निवेशक सेवाएं
इस योजना के तहत अकाउंट खोलने वाले व्यक्ति को कई प्रकार की सुविधाएं प्रदान की जाती हैं। कुछ ऐसी ही निवेशक सेवाएं निम्नलिखित हैं:
खाता विवरण– इसमें आप अपने अकाउंट में पड़ी धनराशि, इतिहास, ट्रांजैक्शन और अपनी जी सिक्योरिटी का विवरण देख सकते हैं।
नामांकन सुविधा– आप इस अकाउंट में अपने नॉमिनी को भी चुन सकते हैं। किसी इन्वेस्टर की मृत्यु होने गिल्ट अकाउंट में पड़ी हुई जी सिक्योरिटी नॉमिनी को प्रदान कर दी जाती है।
शिकायत निवारण– आरबीआई ऑनलाइन पोर्टल का इस्तेमाल करके आप किसी भी प्रकार की समस्या का निवारण भी करा सकते हैं। जैसे कि ट्रांजैक्शन में गड़बड़ी, बांड खरीदने में दिक्कत।
बॉन्ड्स कैसे खरीदें ?
इस योजना के तहत आप आरबीआई पोर्टल से बॉन्ड्स खरीद सकते हैं। इस वेबसाइट पर आपको कई सारी जी सिक्योरिटीज देखने को मिलेंगी। जिसमें से आप किसी भी सिक्योरिटी के बॉन्ड में निवेश कर सकते हैं। बॉन्ड के साथ आपको अन्य सभी प्रकार की जानकारी भी मिल जाएगी। जैसे कितना निवेश करना होगा, कितना रिटर्न मिलेगा, मेच्योरिटी डेट आदि।
बॉन्ड खरीदने से पहले आपको अपने खाते में धनराशि जमा करनी होती है। धनराशि जमा करने के लिए आप UPI या net banking का इस्तेमाल कर सकते हैं। धनराशि जमा करने के बाद आप लिस्टेड बॉन्ड्स में से कोई भी बॉन्ड के लिए आर्डर कर सकते हैं। ऑर्डर संपूर्ण होने के बाद वह बॉन्ड आपके नाम पर दर्ज हो जाएगा।
इस investment scheme में दो प्रकार से बॉन्ड खरीदे जाते हैं:
प्राइमरी मार्केट– प्राइमरी मार्केट से बॉन्ड खरीदने का अर्थ होता है कि आप सीधे सरकार से बॉन्ड खरीद रहे हैं। आरबीआई पहले ही सूचित कर देता है कि कौनसी कंपनी के बॉन्ड लिस्ट होने वाले हैं। आप आरबीआई से सीधे तौर पर किसी भी लिस्टेड कंपनी के बॉन्ड खरीद सकते हैं।
उदाहरण के तौर पर कॉरपोरेट और प्राइवेट कंपनी जैसे इन्डिया बुल्स, मुथूट फिनकॉर्प समय-समय पर अपने बॉन्ड लॉन्च करती रहती है। यदि आप आरबीआई के माध्यम से इन कंपनियों के बॉन्ड्स को खरीदते हैं तो यह प्राइमरी मार्केट के अंतर्गत आता है।
सेकेंडरी मार्केट– सेकेंडरी मार्केट से बॉन्ड्स खरीदने का अर्थ होता है कि आप किसी दूसरे व्यक्ति या इन्वेस्टर से बॉन्ड खरीदते हैं। जो बॉन्ड पहले ही बिक चुका होता है उसको यदि आप खरीदना चाहते हैं तो वह सेकेंडरी मार्केट के अन्तर्गत आता है। इस बॉन्ड की कीमत बेचने वाला व्यक्ति निर्धारित करते हैं जो कि सामान्यत मार्केट रेट या उससे कम होती है।
Conclusion
यदि आप एक ऐसे व्यक्ति हैं जो बहुत कम जोखिम के साथ निवेश करना चाहते हैं तो आरबीआई रिटेल डायरेक्ट स्कीम आपके लिए बहुत ही फायदेमंद हो सकती है। इस योजना में निवेश पर returns ( फायदा) भी काफी अच्छा होता है। निवेश पर बहुत ही stable returns भी मिलते हैं। बढ़ती हुई महंगाई के कारण बैंक अपनी एफडी पर ब्याज दरें लगातार कम करते जा रहे हैं। ऐसे समय में यह योजना फायदे का सौदा साबित हो सकती है।
इस योजना में निवेश करते वक्त ध्यान रखें कि आपको बॉन्ड्स की अच्छी खासी समझ होनी चाहिए। इस योजना के तहत आप मैच्योरिटी से पहले बॉन्ड अवश्य बेच सकते हैं परंतु पहले आपको यह देखना होगा कि उसका कोई खरीददार है भी या नहीं। Overall आरबीआई रिटेल डायरेक्ट scheme एक अच्छी scheme है।
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