Postmortem kaise hota hai | पोस्टमार्टम क्या होता है?

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Postmortem kaise hota hai: हर किसी ने कभी ना कभी पोस्टमार्टम के बारे में सुन रखा है। पोस्टमार्टम का नाम सुनते ही हर व्यक्ति कांप जाता है। पोस्टमार्टम मृत्यु के बाद शरीरक जांच का महत्त्वपूर्ण हिस्सा है। पोस्टमॉर्टम करना mandatory ( आवश्यक ) नहीं है। परिजनों की इच्छा पर ही पोस्टमॉर्टम किया जाता है। पोस्टपोर्टम में किसी प्रकार का कोई पैसा नहीं लगता है।

आम तौर पर मृत्यु के 24 घंटों के अंदर पोस्टमॉर्टम हो जाना चाहिए। पर कई बार कई महीनों पुरानी लाश का पोस्टमॉर्टम भी करना पड़ता है। कई बार पोस्टमॉर्टम के लिए पूरी तरह गली हुई लाश आती है जिसका पोस्टमॉर्टम डॉक्टर्स के लिए भी चुनौतीपूर्ण काम होता है।

आज इस पोस्ट में पोस्टमॉर्टम से संबंधित हर जानकारी पढ़ने को मिलेगी जैसे पोस्टमार्टम कैसे होता है (postmortem kaise hota hai), Postmortem Kya Hota Hai etc.

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Postmortem का इतिहास?

पोस्टमार्टम कोई नई चीज नहीं है बल्कि इस तकनीक का इस्तेमाल हजारों वर्ष पूर्व से होता आ रहा है। कागजी दस्तावेज और इतिहासकारों के मुताबिक सबसे पहले पोस्टमार्टम करने का श्रेय ancient Egypt civilization को जाता है जो आज से 300 BCE‌ (2300+ वर्ष पूर्व) postmortem किया करते थे। इस Egypt civilization के पास पोस्टमार्टम करने का हुनर कहां से आया ये अभी तक पूरी तरह से रहस्य बना हुआ है।

इजिप्ट के लोग राजा महाराजाओं की डेड बॉडीज की मम्मी बनाने के लिए शरीर का पोस्टमार्टम किया करते थे। इस प्रक्रिया को mummification कहा जाता है। इस पोस्टमार्टम के तहत शरीर से सारे अंग बाहर निकाल लिए जाते थे और शरीर में नमक भर दिया जाता था। ऐसा करने से शरीर हजारों सालों तक preserve रहता था। पोस्टमार्टम करने के बाद शरीर को ताबूत में रखकर पिरामिड में दफन कर दिया जाता था। आज भी इन पिरामिड से हजारों वर्ष पूर्व मरे हुए लोगों के मृत शरीर प्राप्त होते हैं।

Postmortem क्या होता है?

पोस्टमार्टम एक लैटिन भाषा का शब्द है जो 2 शब्दों को मिलकर बना है। Post और mortem. Post का अर्थ होता है बाद में और mortem का अर्थ होता है मृत्यु। इस प्रकार पोस्टमार्टम शब्द का अर्थ है मृत्यु के बाद। पोस्टमार्टम मृत्यु के बाद किए जाने वाला शव परीक्षण है।

पोस्टमार्टम को शवपरीक्षा (Autopsy या post-mortem examination) भी कहा जाता है। यह शव चिकित्सा का महत्वपूर्ण अंग है। इसे ‘विकृतिविज्ञानी’ (पैथोलोजिस्ट) द्वारा किया जाता है।

जिस प्रकार इंसानों का पोस्टमार्टम करने की प्रक्रिया को autopsy कहा जाता है ठीक उसी प्रकार जानवरों का पोस्टमार्टम करने की प्रक्रिया को necropsy कहा जाता है। पोस्टमार्टम के लिए इंसानों के मुकाबले जानवरों के ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है। जानवरों के शरीर का इस्तेमाल साइंटिफिक रिसर्च के लिए किया जाता है।

Postmortem कितने प्रकार का होता है?

पोस्टमार्टम मुख्य चार प्रकार का होता है:

1. Medico-legal or forensic or coroner’s autopsies

इस प्रकार के पोस्टमार्टम का मुख्य उद्देश्य यह पता लगाना होता है कि व्यक्ति की मृत्यु कैसे हुई है। इस पोस्टमार्टम के तहत डीएनए जांच करके मृत व्यक्ति की पहचान भी की जाती है। इसे आमतौर पर पैथोलॉजिस्ट द्वारा किया जाता है।

इस पोस्टमार्टम के तहत फिजिकल एग्जामिनेशन के साथ ब्लड टेस्टिंग भी की जाती है। सैंपल्स के लिए ब्लड सैंपल और stomach liquid content का सैंपल लिया जाता है। इस सैंपल की जांच करके यह पता लगाया जाता है कि व्यक्ति की मृत्यु जहर खाने से हुई है या नहीं।

2. Clinical or pathological autopsies

इस प्रकार का पोस्टमार्टम मुख्यतः बीमारी से मरे हुए लोगों पर किया जाता है। इसको करने का उद्देश्य यह पता लगाना होता है कि व्यक्ति की मृत्यु कौन सी बीमारी से हुई है। इसको आमतौर पर साइंटिस्ट और विशेषज्ञों द्वारा रिसर्च लैब्स में किया जाता है।

इस पोस्टमार्टम का मुख्य उद्देश्य मृत्यु के कारण को स्टडी करके अन्य व्यक्तियों में उस प्रकार की मृत्यु को टालना होता है।

3. Anatomical or academic autopsies

इस प्रकार का पोस्टमार्टम केवल Educational purpose के लिए किया जाता है। इस प्रकार के पोस्टमार्टम के लिए डेड बॉडीज डोनेशन से प्राप्त होती हैं। डेड बॉडीज को काफी लंबे समय तक स्टडी करने के लिए प्रिजर्व करके रखा जाता है।

4. Virtual or medical imaging autopsies

जैसा कि नाम से पता लगता है यह एक प्रकार का virtual पोस्टमार्टम होता है। इस पोस्टमार्टम के दौरान शरीर को चीरा फाड़ा नहीं जाता है। इस प्रकार का पोस्टमार्टम करने के लिए magnetic resonance imaging (MRI) और computed tomography (CT) का इस्तेमाल किया जाता है।

Postmortem कौन करता है?

पोस्टमार्टम specialist डॉक्टर करते हैं जिन्हें पैथोलॉजिस्ट या फिर विकृतिविज्ञानी भी कहा जाता है। ‌पुरुष शव का पोस्टमार्टम हमेशा पुरुष डॉक्टर ही करते हैं और महिला शरीर का पोस्टमार्टम महिला पैथोलॉजिस्ट द्वारा किया जाता है।

पहले के समय में पोस्टमार्टम करने के लिए ज्यादा टेक्नोलॉजी मौजूद नहीं थी इसलिए पैथोलॉजिस्ट द्वारा शरीर की चीर फाड़ कर के ही पोस्टमार्टम किया जाता था। ‌परंतु अब टेक्नोलॉजिकल एडवांसमेंट के साथ पोस्टमार्टम काफी specialised और vast field बन चुकी है। इसमें पैथोलॉजिस्ट के अलावा और भी कई लोग शामिल हो सकते हैं जैसे कि

1. MRI Expert– जिन्हें Radiologist भी कहा जाता है। पोस्टमार्टम के दौरान रेडियोलॉजिस्ट शरीर को एम.आर.आई मशीन में दाखिल करते हैं। इस मशीन से पूरी बॉडी की इंटरनल इमेजेस ली जाती है। इन इमेजेस से बिना चिरफाड की शरीर के अंदरूनी अंगों की हालत की जांच की जा सकती है।

2. CT scan expert– जिन्हें Radiology technologist भी कहा है। पोस्टमार्टम के दौरान यह डेड बॉडी का सिटी स्कैन करते हैं। सिटी स्कैन करने के लिए X-rays का इस्तेमाल भी किया जाता है। इस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके बिना चीर फाड़ के शरीर की हड्डियों की संरचनाओं की जांच की जाती है।

Postmortem क्यों किया जाता है?

1. पोस्टमार्टम करने के कई अलग-अलग कारण हो सकते हैं। परंतु आमतौर पर ज्यादातर मामलों में पोस्टमार्टम मृत्यु का कारण पता करने के लिए किया जाता है।
2. यह पता करने के लिए जिस व्यक्ति की मृत्यु हुई है वो महिला है या पुरुष।
3. इंसान की मृत्यु कितने समय पहले हुई है।
4. डेड बॉडी की उम्र पता करने के लिए
5. ऑर्गन ट्रांसप्लांट करने के लिए

Postmortem कैसे किया जाता है?

आमतौर पर हर डेड बॉडी का पोस्टमार्टम नहीं किया जाता है। पोस्टमार्टम किसी खास उद्देश्य के लिए किया जाता है जैसे कि सुसाइड, हत्या या फिर बिना कारण कोई मौत की जांच करने के लिए। आमतौर पर हॉस्पिटल में होने वाली मौतों को कभी पोस्टमार्टम नहीं किया जाता। यदि पुलिस को किसी व्यक्ति की लावारिस लाश मिलती है और हत्या का शक होता है तो लाश का पोस्टमार्टम कर दिया जाता है। पोस्टमार्टम के दौरान डेड बॉडी की परिजन पास में रह सकते हैं।

Document Formalities– यदि किसी भी बॉडी का पोस्टमार्टम करना होता है तो सबसे पहले डेड बॉडी कि संबंधित रिलेटिव की permission ली जाती है। इससे संबंधित कागजी कार्रवाई की जाती है। मर्डर का शक होने पर पुलिस वेरीफिकेशन की जरूरत होती है।

Start Video Recording– किसी भी पोस्टमार्टम करने के दौरान वीडियो रिकॉर्डिंग करना जरूरी है। भारतीय कानून के अनुसार हत्या संबंधित मामलों में वीडियो रिकॉर्डिंग कोर्ट में पेश करनी होती है।

Step 1. External Examination

अब पोस्टमार्टम की मुख्य प्रक्रिया शुरू होती है। सभी प्रकार की formalities कर लेने के बाद पोस्टमार्टम का सबसे पहला स्टेप External examination होता है। सबसे पहले डेड बॉडी के शरीर से सारे कपड़े निकाले जाते हैं। और फिर body की फिजिकल एग्जामिनेशन की जाती है। इस फिजिकल एग्जामिनेशन में यह देखा जाता है कि शरीर में किसी प्रकार का घाव या चोट तो नहीं है? साथ में ये भी check किया जाता है शरीर में कहीं नीले रंग का निशान तो नहीं है। नीले रंग के निशान से यह पता लगता है व्यक्ति के मरने से पहले किसी चीज से मारा गया है। होंठो का नीला रंग नीला रंग यह दर्शाता है कि व्यक्ति की मृत्यु जहर खाने से हुई है।

Step 2. Internal Examination

फिजिकल एग्जामिनेशन के बाद पोस्टमार्टम का उद्देश्य पूरा नहीं होता है तब इंटरनल एक्जामिनेशन किया जाता है। फिजिकल एक्जामिनेशन के दौरान मृत्यु का कारण पता लगाने के लिए अंदरूनी शरीर की जांच की जाती है। ज्यादातर मामलों में पूरे शरीर का पोस्टमार्टम नहीं किया जाता है। बल्कि शव के किसी खास अंग का ही पोस्टमार्टम किया जाता है। उदाहरण के लिए यदि किसी व्यक्ति की मृत्यु सिर पर गोली लगने के कारण हुई हो तो गोली निकालने के लिए केवल सिर का पोस्टमार्टम ही किया जाता है। बाकी शरीर का पोस्टमार्टम करने का कोई मतलब नहीं बनता।

यदि पूरे शरीर का पोस्टमार्टम करना पड़े तो सबसे पहले ‌छाती पर Y shape का cut लगाया जाता है। दोनों कंधों से लेकर पेट के नीचे तक एक deep cut लगाया जाता है। ऐसा करने से अंदरूनी अंग साफ साफ देखे जा सकते हैं।

Step 3. Viewing The internal Organ

इस स्टेप में इंटरनल ऑर्गन की structure और position को चेक किया जाता है। Y- Shaped cut लगाने के बाद निम्नलिखित अंगो की जांच की जाती है।

  • Lungs
  • Heart
  • Liver
  • Stomach
  • Large intestine
  • Small intestine

Step 4. Removal of The organs

कई बार शरीर के प्रत्येक अंग की जांच करनी जरूरी हो जाती है। उदाहरण के लिए यदि व्यक्ति की मृत्यु intestine कैंसर से हुई हो तो जांच करने के लिए पूरा पेट और अंतड़िया बाहर निकाली जाती है। अंदरूनी अंगों को बाहर निकालने के लिए Rokitansky method का इस्तेमाल किया जाता है। इस method में शरीर के सारे अंगों को एक साथ बाहर निकाला जाता है। पेट के सभी अंग आपस में जुड़े होते हैं। कोई सा अंग पकड़ कर खींचने पर सारे अंग बाहर निकल आते हैं। सभी अंगो को बाहर निकालने के बाद एक एक अंग को dissect ( विच्छेदित/ काट कर अलग) किया जाता है।

Step 5. Removing Brain

दिमाग निकालने के लिए एक कान से दूसरे कान तक एक चीरा लगाया जाता है। इसके बाद सिर की मोटी त्वचा को हटाकर आरी से खोपड़ी को काटा जाता है। और फिर आराम से दिमाग को बाहर निकालकर formalin 20% solution में स्टडी करने के लिए रख दिया जाता है।

Step 6. Examining the organ

अब अंदरूनी अंगो की जांच करने की बारी आती है। सबसे पहले पेट और आंतो को छोड़कर सभी अंगो का वजन किया जाता है। इसके बाद पेट और आंतो को दबाकर इनमें मौजूद अपशिष्ट पदार्थों को बाहर निकाला जाता है। अगर किसी व्यक्ति की मृत्यु भोजन में मिले जहर खाने से हुई हो तो भोजन के सैंपल को जांच के लिए रख लिया जाता है।

Step 7. Returning organs to the body

माइक्रोस्कोपिक जांच करने के लिए शरीर के टिश्यू सैंपल रख लिया जाता है । इसके बाद अंदरूनी अंगों की जांच पूरी होने के बाद अंगों को वापस बॉडी में डाल दिया जाता है।

कई बार किन्हीं कारणों की वजह से अंगों को बॉडी में वापस नहीं डाला जाता है। अंगो की बजाए absorbent जो की एक filler material उससे भर दिया जाता है। ऐसा आमतौर पर animal bodies के साथ किया जाता है।

Step 8. Sewing up the body

पोस्टमार्टम का आखरी चरण body sewing होता है। अंग निकालने के लिए छाती और दिमाग पर लगाए गए चीरे को वापिस सील दिया जाता है। बॉडी को Zig zag pattern से सिला जाता है।

Postmortem के बाद क्या होता है?

पोस्टमार्टम करने के बाद पैथोलॉजिस्ट का सबसे पहले काम बॉडी को परिजनों को वापिस करना होता है। जांच के लिए यदि किसी अंग को वापिस नहीं डाला गया है तो परिजनों को बता दिया जाता है।

इसके बाद पैथोलॉजिस्ट अपनी रिपोर्ट तैयार करता है। इस रिपोर्ट में पैथोलॉजिस्ट अपनी परीक्षण जांच में किए गए नतीजों को दर्ज करता है। आमतौर पर इस रिपोर्ट में मृत्यु का कारण, समय लिखा होता है। इस रिपोर्ट में मृत्यु के पांच कारणों में से किसी एक को दर्ज किया जाता है। मृत्यु के पांच कारण:-

natural– प्राकृतिक कारणों से हुई मृत्यु। जैसे– बीमारी, दिल का दौरा

accident– दुर्घटना से हुई मृत्यु। जैसे– कार एक्सीडेंट

suicide– आत्महत्या

homicide– किसी दूसरे द्वारा मर्डर किया जाना। इस प्रकार के पोस्टमार्टम की रिपोर्ट तैयार करने के लिए 6 से 7 दिन का समय लग जाता है।

undetermined– इसमें मृत्यु के कारण का पता नहीं लग पाता है। इस प्रकार का पोस्टमार्टम काफी पेचीदा होता है और काफी लंबे समय तक भी चल सकता है। मृत्यु का कारण पता न लग पाने के कारण सीटी स्कैन और MRI की मदद ली जाती है।

pending– आमतौर पर जहर खाने के कारण हुई मृत्यु पर पेंडिंग लिखा जाता है। इस प्रकार का पोस्टमार्टम 3 से 4 घंटे में ही पूरा हो जाता है। स्पेशलिस्ट dead body का ब्लड सैंपल इकट्ठा कर लेते हैं और यह पता लगाने के लिए व्यक्ति की मृत्यु कौन से केमिकल से हुई है, सैंपल को एडवांस लैबोरेट्रीज में भेज देते हैं।

इसके बाद बॉडी को परिजनों को सौंप दिया जाता है।

Postmortem किस समय किया जाता है?

आज से कुछ वर्षों पूर्व तक पोस्टमार्टम हमेशा सूरज की रोशनी में दिन के समय किया जाता था। पहले पोस्टमार्टम कभी भी रात के समय में नहीं किए जाते थे। ऐसा करने की वजह ब्रिटिश समय में बना हुआ कानून था। इस कानून की वजह से ही पहले रात में पोस्टमार्टम करने की अनुमति नहीं थी।

दरअसल इसकी वजह यह थी कि रात में शरीर का अच्छे से फिजिकल एग्जामिनेशन नहीं हो पाता है। कम रोशनी की वजह से शरीर पर लगे हुए चोटों के निशान नजर नहीं आते हैं।

इसकी एक सबसे बड़ी समस्या यह भी थी कि पोस्टमार्टम के दौरान घाव के रंग को रिकॉर्ड करना जरूरी होता है। रात के समय बल्ब की रोशनी में घाव का रंग अलग नजर आता था। ‌ बल्ब की रोशनी में ज्यादातर घाव ज्यादा नीले दिखाई पड़ते थे। शरीर पर नीले रंग का अर्थ होता है उस जगह पर दबाव बनाया गया है। जैसे कि फांसी लगने पर गले के आसपास नीले रंग का निशान बन जाता है। इसी वजह से बहुत सारी पोस्टमार्टम रिपोर्ट की फिजिकल एग्जामिनेशन में गलती होती थी।

परंतु अब इस कानून को रद्द कर दिया गया है। डॉक्टर और पैथोलॉजिस्ट के बार-बार request letters लिखने पर modi ruling government ने इस अर्जी को स्वीकार कर लिया है। और अब रात में भी पोस्टमार्टम होने लगे हैं। मेडिकल एडवांसमेंट टेक्नोलॉजी के साथ अब पहले जैसी परेशानियां नहीं होती है। लेटेस्ट टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके अब रात में भी पोस्टमार्टम किया जा सकता है।

इस कानून का सबसे बड़ा फायदा यह हुआ है अब पहले से ज्यादा डेड बॉडीज के ऑर्गन ट्रांसप्लांट होने लगे हैं। डेड बॉडी से ऑर्गन ट्रांसप्लांट करने के लिए केवल 6 से 8 घंटे का समय होता है। पहले किसी व्यक्ति की यदि शाम के वक्त या फिर रात के वक्त मृत्यु होती थी तो डेड बॉडी को पड़े पड़े 8 घंटे यूंही बीत जाया करते थे और उसके ऑर्गन किसी काम के नहीं बचते थे।

FAQ  Postmortem kaise hota hai इसके बारे में पूछे गए सवाल 

डॉक्टर लाश देखकर व्यक्ति की मृत्यु के समय का कैसे पता लगा लेते हैं?

पहले के समय में डॉक्टर physical signs देखकर लाश की मृत्यु होने का समय पता लगाया करते थे जो कि अमूमन सटीक नहीं होता था। परंतु अब कई तरीकों से लाश की मृत्यु होने का सही समय पता लगाया जा सकता है। ‌इनमें से सबसे सटीक method carbon dating है। कार्बन डेटिंग से हजारों साल पहले हुई मृत्यु का भी सही समय पता लगाया जा सकता है। हालांकि कार्बन डेटिंग बहुत ही कम मामलों में की जाती है। लाश की मृत्यु का समय कई अन्य तरीकों से आसानी से पता लग जाता है। जैसे कि– डॉक्टर पोस्टमार्टम के दौरान सबसे पहले पेट की जांच करते हैं। भोजन पेट में पचने के लिए 2 घंटे तक रहता है। यदि मृत व्यक्ति के पेट में भोजन प्राप्त होता है तो उसका अर्थ यह है कि व्यक्ति की मृत्यु 2 घंटे पहले हुई है। यदि व्यक्ति की आंतो में भोजन पाया जाता है तो उसका अर्थ है कि व्यक्ति की मृत्यु 3 से 4 घंटे पहले हुई है। यदि व्यक्ति के रेक्टम में अपशिष्ट पदार्थ पाए जाते हैं तो इसका अर्थ है व्यक्ति की मृत्यु 6 से 8 घंटे पहले हुई है। बॉडी काफी समय तक खुले में पड़ी रहती है तो उसमें Maggots ( कीड़े) पड़ जाते हैं। ये maggots किसी मृत व्यक्ति की लाश में तीन से चार दिन बाद देखने को मिलते हैं। यदि किसी व्यक्ति की लाश में maggots पाए जाते हैं तो इसका अर्थ है कि उस व्यक्ति की मृत्यु 3 से 4 दिन पहले हुई है। कुछ खास प्रकार के larva व्यक्ति की मृत्यु के 6-7 दिन बाद देखने को मिलते हैं। यदि ये larva शरीर से बरामद होता है इसका अर्थ यह होता है कि व्यक्ति की मृत्यु 6 से 7 दिन पहले हुई है। व्यक्ति की मृत्यु का पता लगाने का सबसे आसान तरीका microbial testing method होता है। हर व्यक्ति के शरीर में microbes या सूक्ष्म जीव पाए जाते हैं। यह सूक्ष्म जीव ऑक्सीजन की presence में पनप नहीं सकते हैं। जैसे ही व्यक्ति की मृत्यु होती है वैसे ही शरीर से ऑक्सीजन खत्म होने लगती है और यह microbes पनपने शुरू हो जाते हैं। कुछ खास प्रकार के microbes व्यक्ति की मृत्यु के 10 दिन बाद पनपते हैं। कुछ 20 दिन बाद और कुछ 30 दिन बाद। इन माइक्रोब्स की presence को देखकर ही व्यक्ति की मृत्यु के समय अंदाजा लगाया जाता है।

क्या 30 घंटे बाद पोस्टमार्टम में यह पता चल सकता है डेड बॉडी के साथ दुष्कर्म हुआ है या नहीं?

यदि किसी डेड बॉडी के साथ दुष्कर्म होता है तो उस पर कुछ physical signs जैसे खरोंच आदि देखने को मिलती है। पर यदि यह physical signs भी मौजूद ना हो तो भी पोस्टमार्टम से डेड बॉडी के साथ दुष्कर्म होने या ना होने की संभावना की पुष्टि की जा सकती है। असल में दुष्कर्म होने पर डॉक्टर शरीर के सैंपल लेते हैं। यह शरीर के सैंपल दुष्कर्म होने वाले संभावित अंगों से लिए जाते हैं। सैंपल में से fructose की presence detect की जाती है। Fructose एक प्रकार की शुगर है जो कि केवल और केवल पुरुषों के semen में पाई जाती है। इसके अलावा fructose कहीं नहीं पाई जाती है। यदि किसी महिला के अंगों से fructose मिलता है तो इसका अर्थ यह है कि दुष्कर्म हुआ है। इसके बाद पुलिस जांच पड़ताल करके संभावित आरोपी को पकड़ती है। और फिर डॉक्टर fructose के डीएनए सैंपल की जांच संभावित आरोपी के डी.एन.ए से करते हैं। यदि यह दोनों सैंपल आपस में match हो जाते हैं तो इसका अर्थ है कि संभावित आरोपी व्यक्ति ही मुख्य आरोपी व्यक्ति है।

पोस्टमार्टम कराने का कितना पैसा लगता है?

सरकारी हॉस्पिटल में पोस्टमार्टम कराने का कोई पैसा नहीं लगता है। हालांकि पोस्टमार्टम कराने के लिए कुछ मामूली शुल्क, पर्ची का शुल्क, रिपोर्ट तैयार करने का शुल्क लगता है। यह शुल्क 1000 से 1500 रुपए तक हो सकता है। कुछ लोग प्राइवेट हॉस्पिटल में भी पोस्टमार्टम करवाते हैं वहां पर शुल्क ज्यादा लगता है।

क्या बिना FIR के पोस्टमार्टम हो सकता है?

आमतौर पर हॉस्पिटल्स में यदि व्यक्ति की मृत्यु होती है तो पोस्टमार्टम नहीं किया जाता है। सड़क दुर्घटना में होने वाली मृत्यु में FIR नहीं होती है परंतु फिर भी पोस्टमार्टम कर दिया जाता है। पोस्टमार्टम करवाने के लिए f.i.r. होना जरूरी नहीं है।

सड़क दुर्घटना में होने वाली मृत्यु में पुलिस परिजनों के ना चाहते हुए भी पोस्टमार्टम कर देती है, ऐसा क्यों?

जब भी सड़क दुर्घटना में किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है तो उसकी शिनाख्त कर पाना काफी मुश्किल होता है। क्योंकि उसका चेहरा बिगड़ चुका होता है। यदि दुर्घटना में मरे हुए व्यक्ति के पास कोई आईडेंटिटी प्रूफ मिलता है तो पुलिस परिवार वालों को सूचित कर देती है। और परिजनों से बिना पूछे पुलिस पोस्टमार्टम नहीं करती है। परंतु यदि व्यक्ति के पास कोई भी आइडेंटिटी प्रूफ ना मिले और उसके परिजनों का पता ना चले तो पुलिस के पास पोस्टमार्टम कराने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचता। पोस्टमार्टम कराकर डेड बॉडी के डीएनए सैंपल और पहचान संबंधित जानकारी ले ली जाती है। यदि अब पुलिस स्टेशन में कोई भी व्यक्ति किसी गुमशुदा व्यक्ति की रिपोर्ट दर्ज कराता है तो पुलिस को मृत व्यक्तियों में से पहचान करने में आसानी होती है। इस प्रकार यदि गुमशुदा व्यक्ति की डिटेल्स किसी पहले से मृत व्यक्ति के साथ match करती है तो मृत व्यक्ति को ढूंढने में समय बर्बाद नहीं होता। पुलिस द्वारा किए गए पोस्टमार्टम में कभी भी अंग नहीं निकाले जाते हैं।

पोस्टमार्टम रिपोर्ट कितने दिनों में बनकर तैयार हो जाती है?

ज्यादातर मामलों में यदि व्यक्ति की मृत्यु आम कारणों जैसे की बीमारी, दुर्घटना से हुई है तो पोस्टमार्टम रिपोर्ट तीन से चार दिन बाद प्राप्त हो जाती है। परंतु कुछ मामलों में जिनमें मौत बहुत ही रहस्यमय ढंग से होती है उसकी रिपोर्ट तैयार करने में 7 दिन से लेकर 1 महीने तक का समय भी लग सकता है। कुछ पोस्टमार्टम रिपोर्ट में यह कभी भी नहीं पता लग पाता कि व्यक्ति की मृत्यु कैसे हुई है।

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